तेजाब हमले के शिकार लोगों को समाज और मीडिया अक्सर पीडि़त के रूप में चित्रित करते हैं। लेकिन अनेक लोग ऐसे भी हैं जो तेजाब हमला के सदमा से लड़ते हैं और फिनिक्स (अमर पक्षी) की तरह राख से निकल आते हैं। उन्हें बचने वाला कहना ज्यादा सटिक होगा। मलयालम फिल्म 'यूयारे' आईएफएफआई के भारतीय पैरोनमा में दिखाई गई यह फिल्म तेजाब हमले से बची हुई लड़की की कहानी है, जो सारी बाधाओं के बावजूद विजेता के रूप में उभरती है।
'यूयारे' के निर्देशक मनु अशोकन तथा निर्माता शेनुगा और शेरगा ने सामाजिक रूप से प्रासंगिक अपनी फिल्म की कहानी संवाददाता सम्मेलन में साझा की। इस अवसर पर 'द सिक्रेट लाईफ ऑफ फ्रॉग्स' के निर्देशक भी मौजूद थे। उन्होंने अपनी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म के बारे में बताया।
मनु अशोकन ने बताया कि उनकी फिल्म वास्तविक जीवन की कहानियों से प्रेरित है। हमने देखा है कि अनेक महिलाएं कटु संबंधों से गुजरती हैं। हम नायिका पल्लवी और उसके संबंध के माध्यम से ऐसी कहानियों को समाज से साझा करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि इसी विषय पर एक हिन्दी फिल्म भी बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि 'छपाक' एक जीवनी आधारित फिल्म है, जबकि 'यूयारे' वास्तविक जीवन की घटना और लोगों द्वारा प्रेरित कल्पित कथा है। शेनुगा और शेरगा ने बताया कि किस तरह महिलाओं को खुलकर आगे आना और अपनी समस्याओं के बारे में बोलना आवश्यक है।
अपनी फिल्म 'द सिक्रेट लाईफ ऑफ फ्रॉग्स' के बारे में अजय बेदी ने कहा कि यह फिल्म उभयचरों पर भारत की पहली फिल्म है। इसकी शूटिंग पश्चिमी घाट में की गई और इसे पूरा करने में तीन वर्ष का समय लगा। हमने अनेक जीव-जंतुओं की शूटिंग की, लेकिन फिल्म 6 से 7 जीव-जंतुओं को दिखाया गया है जो गंभीर रूप से विलुप्त होने की कगार पर हैं। फिल्म बनाने में मेढक को पाने, भारत वर्षा और संक्रमण की संभावना जैसी अनेक चुनौतियां थी। आधुनिक कैमरों से बहुत सी चीजें आसान हो गई हैं।
वन्य जीवन पर युवाओं द्वारा फिल्म बनाने के बारे में बेदी ने सलाह दी कि फिल्म में दिखाये जाने वाले जीव-जन्तु के बारे में शोध करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उन्हें शोध पर आधारित पटकथा के आधार पर आगे बढ़ना था, लेकिन शूटिंग के क्रम के अनुसार इसे संशोधित करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि वनों की कटाई, बसावट की कमी तथा मेढक के अवैध शिकार के कारण इनकी आबादी में कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि मेढक पर्यावरण का बायोमीटर है। यदि पर्यावरण में मेढक की आबादी पर्याप्त है तो इसका अर्थ है कि आस-पास का क्षेत्र स्वस्थ है। मेढक का न होने का अर्थ चेतावनी है। मेढकों को प्रभावित करने वाली बातें आखिर में मानव पर दुष्प्रभाव डालेगी।