नागर विमानन मंत्रालय ने आरसीएस-उड़ान की बोली लगाने का चौथा दौर लॉन्च किया

 


 



 


देश के दूरवर्ती तथा क्षेत्रीय स्थानों तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) – उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान) की तीन दौर की सफल बोली प्रक्रिया के बाद नागर विमानन मंत्रालय ने बोली का चौथा दौर लॉन्च किया है। इस दौर में फोकस पूर्वोत्तर राज्यों, पर्वतीय राज्यों, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख तथा द्वीपों पर होगा। योजना की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं :


प्राथमिकता वाले क्षेत्रों, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख तथा जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप तथा अंडमान तथा निकोबार में आरसीएस उड़ानों के परिचालन को बढ़ाने के लिए श्रेणी 2/3 (20 सीटों से अधिक) विमान के लिए वीजीएफ के प्रावधान को बढ़ाया गया है। श्रेणी 1/1ए (20 सीटों से कम) विमान के लिए लागू वीजीएफ के सीमा को भी संशोधित किया गया है ताकि योजना के अंतर्गत छोटे विमानों के परिचालन को प्रोत्साहित किया जा सके।


श्रेणी 2/3 विमान के संचालन के लिए 600 किलोमीटर लंबे मार्ग तक वीजीएफ के प्रावधान प्रतिबंधित होंगे। इससे अधिक की दूरी पर किसी तरह की मौद्रिक सहायता नहीं दी जाएगी। विभिन्न चरण की लंबाइयों के लिए वीजीएफ के प्रावधान की तालिका 500 किलोमीटर तक के लिए उपलब्ध होगी।


योजना के अंतर्गत एएआई द्वारा पहले से विकसित हवाई अड्डों के लिए वीजीएफ के ठेका देने में प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद उन हवाई अड्डों को प्राथमिकता दी जाएगी जो उपरोक्त सूची में नहीं हैं लेकिन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में स्थित हैं। इसके बाद उन हवाई अड्डों को प्राथमिकता दी जाएगी जो प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से अलग हैं।


चुनिंदा विमान ऑपरेटरों (एसएओ) को दिए गए मार्ग पर उड़ान परिचालन की अवधि के दौरान उड़ान परिचालन की फ्रीक्वेंसी में बदलाव करने की अनुमति होगी, बशर्ते तकनीकी प्रस्ताव के भाग के रूप में कुल निश्चित उड़ान परिचालन प्रस्तुत किया गया हो, और एक वर्ष की अवधि के अंतर्गत इसका पालन किया जा रहा हो। इस दौर में हेलिकॉप्टर तथा समुद्री विमान के परिचालन की अनुमति दी जाएगी।


नागर विमानन मंत्रालय का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में 1000 मार्गों तथा 100 हवाई अड्डों को चालू करने का है। यह लक्ष्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में मार्ग चालू करने पर फोकस से प्राप्त किया जाएगा। एएआई भविष्य में कम महत्व के हवाई अड्डे को विकसित करने पर फोकस करेगा और ऐसे हवाई अड्डों से जुड़े मार्गों को वीजीएफ ठेका के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। बाजार को केवल छोटे मार्ग विकसित करने और नजदीकी हवाई अड्डों से कनेक्टिवीटी प्रदान करने के बारे में संवेदी बनाया जाएगा।