केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगामी आम बजट 2020-21 के संबंध में विभिन्न साझेदार समूहों के साथ दिल्ली में बजट पूर्व विचार-विमर्श शुरू कर दिया। उनकी पहली बैठक डिजिटल अर्थव्यवस्था, फिनटैक और स्टार्ट अप के साझेदार समूहों के साथ हुई।
बैठक के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया, उनमें आंकड़ों से जुड़े मुद्दे जैसे बृहत आंकड़ों से जुड़ी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, बृहत आंकड़ों का विश्लेषण, एसएमई क्षेत्र के लिए बृहत आंकड़ों की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल और लोक प्रशासन के लिए बृहत आंकड़े खोलना शामिल हैं। विचार-विमर्श के दौरान जिन अन्य मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा की गई उनमें डिजिटल बुनियादी ढांचा और सरकार की भूमिका, डिजिटल अर्थव्यवस्था खासतौर से गोपनीयता पर नियंत्रण, वित्तीय नियंत्रण, स्टार्ट-अप के लिए कारोबार में सुगमता का माहौल, डिजिटल इंडिया के लिए आधारभूत संरचना अंतर, कराधान का मुद्दा शामिल है।
वित्त मंत्री के साथ बैठक में वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, वित्त सचिव राजीव कुमार, आर्थिक कार्य सचिव अतनु चक्रवर्ती, राजस्व सचिव अजय भूषण पाण्डेय, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव अजय प्रकाश साहनी, दूरसंचार विभाग में सचिव अंशु प्रकाश, सीबीडीटी के अध्यक्ष प्रमोद चन्द्र मोदी, सीअीआईसी के अध्यक्ष पी.के. दास, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. सुब्रह्मणयम और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
डिजिटल अर्थव्यवस्था, फिनटैक और स्टार्ट-अप के प्रतिनिधियों ने बृहत आंकड़ों, आंकड़ा केन्द्रों की स्थापना को प्रोत्साहन, आंकड़ों के स्थानीयकरण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन, ग्रामीण इलाकों में डिजिटल प्रवेश के लिए प्रोत्साहन, अन्य देशों के साथ प्रतिर्स्धा के लिए स्टार्ट-अपों को कॉरपोरेट गांरटी, एमएटी कर दर को युक्ति संगत बनाना, स्टार्ट-अप इकाइयों के लिए कर में छूट, सीमा पार से होने वाले वित्तीय अपराधों को देखने के लिए विशेष एजेंसी का गठन, महिला रोजगार को बढ़ावा (कौशल विकास में मिलने वाला लाभ), भारत में अंतर्राष्ट्रीय इंटर्नशिप और अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन के साथ कौशल विकास में युवाओं को प्रशिक्षण देने के संबंध में अपने विचारों और सुझावों को साझा किया। हालांकि, विशेषज्ञों ने अपने-अपने क्षेत्रों में सुधारों का सुझाव दिया, उन्होंने किसी विशेष क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के अनेक समाधान सुझाए। अनेक वक्ताओं ने स्टार्ट-अप को करों में छूट देने और देश में उन्हें प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया।
बैठक में भाग लेने वालों में विप्रो लिमिटेड के मुख्य ग्लोबल विधि अधिकारी (सीएलओ) दीपक आचार्य, इलेक्ट्रॉनिक और कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष मनदीप सिंह पुरी, जीयो मोबाइल्स की विशाखा सैगल, आईआईएम रोहतक के निदेशक धीरज पी. शर्मा, एमएआईटी के सीईओ जॉर्ज पॉल, सार्वजनिक नीति, नैस्कॉम के प्रमुख आशीष अग्रवाल, चैम्बर्स ऑफ स्टार्ट-अप्स, इंडस्ट्रीज एंड एंट्रीप्रिन्योर (इंडिया) काउंसिल के अध्यक्ष सुनील मग्गो, विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के आनन्द नंद कुमार, ईएलसीआईएन के अध्यक्ष अमृत मनवानी, लेंसकार्ट के संस्थापक पीयूष बंसल, उबर इंडिया और साउथ एशिया के कर प्रमुख अमित बंसल, वेलंकानी इलेक्ट्रॉनिक्स (प्राइवेट) लिमिटेड के वित्तीय नियंत्रक एच. नागराज, एप्पल इंडिया के रणनीति और नीति प्रबंध निदेशक विराट भाटिया, भारतीय दूरसंचार उपकरण निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष एन.के. गोयल, भारतीय सेल्युलर और इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज महेन्द्रू, इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस की प्रोफसेर दीपा मणि, लावा इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हरिओम राय और पेटीएम के मधुर देवड़ा शामिल हैं।