नासिक के बोरगड इलाके में उमड़ा मानवता का महासागर

रिपोर्ट : अजीत कुमार


 



 


“आओ, हम अपना जीवन कृतज्ञता के भाव से सजायें। निरंकार प्रभु ने हमें जो यह जीवन बख्शा है वह एक तौफीक ही है। परमात्मा हमें वह प्रदान करता है जो हमारे लिए सबसे उत्तम है। हमें उसकी रज़ा में रहना आये और उसका शुक्रिेया अदा करना आ जायें।”


यह प्रतिपादन सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 53वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के पहले दिन उपस्थित लाखों के जन समूह को सम्बोधित करते हुए किया। नाशिक के बोरगड इलाके में आयोजित इस संत समागम में मानवता का महासागर उमड़ा है जिसमें महाराष्ट्र के कोने कोने से तथा देश एवं दूर देशों से भारी संख्या में श्रद्धालु भक्त पधारे हैं।


सद्गुरु माता जी ने कहा कि कृतज्ञता के भाव धारण करने से हमारे अंदर शान्ति स्थापित हो जाती है। हम अपने जीवन में सहनशीलता, क्षमाशिलता, सद्व्यवहार, सब्र और प्रेम जैसे दिव्य गुणों को अपना कर जीवन सहज-सुंदर बना सकते हैं।


सद्गुरु माता जी ने आगे कहा कि परमात्मा आदि अनादि है। इसका कभी प्रारंभ नहीं हुआ और अंत भी नही होगा। यह पानी से भीगता नहीं, न ही इसको शस्त्र से काटा जा सकता है। यह हमारे अतिनिकट है। परमात्मा स्थिर है और जब हम इस स्थिर के साथ अपने आप को जोड़ लेंगे तो हमारे जीवन में स्थिरता आ जायेगी और सुख-दुख से उपर उठ कर आनन्द की अवस्था में प्रतिष्ठित हो जायेंगे। पुरातन गुरु-पीर पैगंबरों एवं पवित्र ग्रंथों की बाणी के अनुसार संत निरंकारी मिशन भी पिछले ९० सालों से यही सत्य का सन्देश दे रहा है।


सद्गुरु माता जी ने आगे कहा कि प्रभु-परमात्मा की प्राप्ती करना हमारे जीवन का मूल उद्देश्य है। इस मौके को हम न गंवायें। अगर हम ऐसा नहीं करते तो हमारा जीवन वृथा चला जायेगा। हमें यह अमूल्य जीवन मिला है, इसे दुनिया की चकाचौंध में न उलझायें। हम इस बात पर अपना ध्यान केंद्रित करें कि जहां हम स्वयं अपने जीवन को संवारें वहीं संसार के लिए भी एक अच्छा योगदान दे सकें।


इस समागम में श्रद्धालु भक्त रेल्वे, बसों, कार एवं अन्य पब्लिक ट्रान्सपोर्ट के साधनों से समागम स्थल पर पधारे हैं। उनके आगमन से नासिकवासियों को कोई असुविधा न हों इसके लिए ट्राफिक के उचित प्रबंध किए गए हैं।


समागम के पहले दिन देश-विदेश से आये वक्ताओं ने मराठी, हिंदी, इंग्लिश, गुजराती, अहिरानी, कन्नड, सिंधी, बंजारा, भोजपुरी, पंजाबी, बंगाली एवं नेपाली आदि भाषाओं के माध्यम से विचार, भजन, भक्तिगीत कविता इत्यादि माध्यम से अपने भाव व्यक्त किए।


रंगारंग सेवादल रैली के साथ समागम के दूसरे दिन का आरम्भ हुआ। इस सेवादल रैली में हजारों की संख्या में सेवादल के बहन-भाई वर्दियों में सुसज्जित सद्गुरु माता जी का आशीर्वाद ग्रहण करने के लिए भाग लिये। रैली में अनुशासन, समर्पण एवं सौजन्य को दर्शाते हुए सेवादल ने कुछ खेल एवं शारीरिक करतब प्रस्तुत किए। भक्ति भाव को साकार करने के लिए सेवा के महत्व को दर्शाते हुए उन्होंने कुछ नाटिकायें की। इन कार्यक्रमों के माध्यम से उन्होंने यह दर्शाने की कोशीश की कि वे उनके वरिष्ठ एवं विशेष रुप से सद्गुरु के आदेशों-उपदेशों का पालन कर सकें।


सेवादल रैली को आशीर्वाद प्रदान करते हुए सद्गुरु माता जी ने कहा कि सेवादल के बहन भाई अपने अनुशासन एवं समर्पण के द्वारा न केवल समागमों में बल्कि जहां भी आदेश आ जाता है अपनी सेवायें निभाते हैं। उनकी सेवायें केवल संत समागम तक सीमित नहीं बल्कि‍ पूरे मानव-मात्र के लिए वे अपनी सेवायें अर्पण करते हैं। प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत कार्यों में ये सेवादल निरंतर अपना योगदान देते रहते हैं।


इससे पहले इस अवसर पर सेवादल के मेंबर इंचार्ज वी.डी.नागपाल जी ने कहा कि यद्यपि सेवादल के बहन-भाई हर प्रकार की सेवाओं के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं इसके बावजूद भी कई कमियाँ रह गई होंगी। उन्होंने सद्गुरु माता जी से क्षमायाचना करते हुए प्रार्थना की कि आप आशीर्वाद दें ये बहन-भाई पूरे उत्साह, अनुशासन, समर्पण, भक्तिभाव एवं समन्वय के साथ अपनी सेवायें निभा सकें।