केन्द्रीय दत्तकग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) ने पिछले पांच वर्षों में गोद लेने के मामले में आए अवरोधों के आंकड़ों के बारे में मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों को गलत बताया है। प्राधिकरण ने कहा है कि हाल के दिनों में अनेक मीडिया रिपोर्ट में पिछले पांच वर्षों में गोद लेने के मामलों में अवरोधों की संख्या 1100 बताई गई है। आज नई दिल्ली में जारी स्पष्टीकरण में सीएआरए ने कहा है कि पिछले पांच वर्षों में अवरोध के 246 मामले आए हैं और दस मामलों में विघटन हुआ है।
केन्द्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण ने कहा है कि ऐसा लगता है कि 1100 की संख्या उसके द्वारा आरटीआई के बारे में दिए गए उत्तर से गलत हवाला दिया गया है। इसमें दत्तकग्रहण प्रक्रिया से वापसी की संख्या भी शामिल कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अवरोध का अर्थ यह है कि बच्चा परिवार को सौंपे जाने के बाद संस्थान को वापस कर दिया जाता है। यह सुखद स्थिति नहीं हैं, क्योंकि बच्चों को अस्वीकार किए जाने की भावना सताती है और बच्चे लम्बे समय तक डरे रहते हैं। पिछले पांच वर्षों में दत्तक ग्रहण के दस मामलों का विघटन हुआ है, जहां अभिभावकों ने न्यायालय के माध्यम से दत्तकग्रहण से कानूनी दत्तकग्रहण प्रक्रिया पूरी होने के बाद बच्चे को वापस कर दिया है। जेजे अधिनियम, 2015 के अन्तर्गत कुल दत्तक ग्रहण मामलों में से दो प्रतिशत से भी कम मामलों में बाधा आई है और विघटन हुआ है लेकिन प्रिंट मीडिया में इसे लगभग 6% बताया गया है।
प्राधिकरण ने कहा है कि बच्चे का प्रोफाइल स्वीकार किए जाने के बाद अभिभावकों द्वारा दत्तकग्रहण प्रक्रिया से वापसी करने और दत्तकग्रहण करने से पहले पालन-पोषण के लिए बच्चे को लेने के बाद बच्चे को वापस करने में अंतर है। ऐसी स्थिति में वापसी को अवरोध कहा जाता है। पहले मामले में उद्देश्य बच्चे को गोद लेने के बारे में जानकारीपूर्ण निर्णय लेने में अभिभावकों की सहायता करना है जबकि दूसरी बात बच्चे के हित के लिए नुकसानदेह है। इस प्रवृत्ति को नियंत्रित करने के लिए सीएआरएनए ने विशेषज्ञों की एक उपसमिति बनाई है जो विभिन्न राज्यों का दौरा करके जमीनी स्तर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं की क्षमता सृजन में सहायता करेगी।
सीएआरए महिला और बाल विकास मंत्रालय के अन्तर्गत देश में दत्तकग्रहण को प्रोत्साहित करने वाली और सहायता देने वाली शीर्ष संस्था है। यह अंतर-देश दत्तकग्रहण के नियमन के लिए निर्धारित केन्द्रीय प्राधिकरण है।