आर्थिक समीक्षा 2019-20 में इस बात पर संतोष व्यक्त किया गया है कि भारत का बाहरी क्षेत्र भुगतान संतुलन की स्थिति में सुधार, एफडीआई, एफपीआई तथा ईसीपी के माध्यम से पूंजी प्रवाह, विदेशों से अप्रवासी भारतीयों द्वारा भेजी जाने वाली रकम की प्राप्ति तथा सीएडी में कमी आने के कारण 2019-20 की पहली छमाही में और अधिक मजबूत हुआ है। केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2019-20 पेश की।
सितंबर 2019 तक भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति सुधर कर 433.7 बिलियन डॉलर हो गई।भुगतान संतुलन की स्थिति मार्च 2019 में 412.9 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार था। ऐसा चालू खाता घाटा (सीएडी) के 2018-19 के 2.1 प्रतिशत से घटकर 2019-20 की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद के 1.5 प्रतिशत कम होने के कारण हुआ। निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह शानदार रही और 2019-20 के पहले आठ महीनों में 24.4 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित हुआ। यह निवेश 2018-19 की समान अवधि की तुलना से काफी अधिक है। 2019-20 की पहली छमाही में अप्रवासी भारतीयों द्वारा भेजी गई कुल रकम 2018-19 में कुल प्राप्तियों से 50 प्रतिशत से भी अधिक 38.4 बिलियन डॉलर रही। विश्व बैंक की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 17.5 मिलियन अप्रवासी भारतीयों ने भारत को 2018 में विदेशों से प्राप्त होने वाली रकम के मामले में शीर्ष पर पहुंचा दिया।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्थिति में है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 10 जनवरी, 2020 तक 461.2 बिलियन डॉलर रहा। सितंबर 2019 के अंत तक विदेशी ऋण का स्तर जीडीपी के 20.1 प्रतिशत के निचले स्तर पर रहा। सकल घरेलू उत्पाद में भारत की बाहरी ऋण देनदारियां जून 2019 के अंत में बढ़ी हैं। इन देनदारियों में ऋण तथा इक्विटी घटक शामिल हैं। यह वृद्धि एफडीआई, पोर्टफोलियो प्रवाह तथा बाहरी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) में बढ़ोत्तरी से प्रेरित हुई।