गुरु नानक साहिब के विश्व एकता के शाश्वत संदेश के बारे में 1 से 9 फरवरी तक दिल्ली में एक प्रदर्शनी

 


 



 


इतिहास, संस्कृति और कलात्मक उत्कृष्टता तथा उपलब्धियों के संबंध में ज्ञान के प्रचार को प्रोत्साहन देने की नैतिकता के अनुरूप, राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली में गुरु नानक साहिब के जीवन और काल के बारे में एक अनूठी प्रदर्शनी की मेजबानी कर रहा है। यह प्रदर्शनी संस्कृति मंत्रालय के राष्ट्रीय संग्रहालय और वीओवाईसीई तथा सिखरी के मध्य एक सहयोगात्मक प्रयास है। राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में 1 से 9 फरवरी तक आयोजित होने वाली इस प्रदर्शनी में एकता और समान पहचान का प्रदर्शन किया जा रहा है।


इस प्रदर्शनी का गुरु नानक साहिब के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर किया जा रहा है। यह प्रदर्शनी सामयिक और प्रासंगिक है क्योंकि यह युवा पीढ़ी को गुरु नानक साहिब की शिक्षाओं और उनके आदर्शों के साथ फिर से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है।


यह प्रदर्शनी गुरु नानक साहिब के एकता के संदेश को अनुभव करने और उसमें शामिल होने का अवसर प्रदान करती है। इस बहु-आयामी आयोजन में पैनल चर्चा, कार्यशालाएं, कविता एवं संगीत सत्र, बच्चों के प्रदर्शन, बातचीत कला, दास्तानगोई प्रदर्शन, विषय आधारित कार्यशालाएं, गाइडेड टूर आदि शामिल हैं।


इस आयोजन को आयोजित करने का पूरा दृष्टिकोण और गतिविधियों की विविधता इस तरह की हैं कि इसमें एकता के बारे में जानने और उसमें शामिल होने के लिए सभी के लिए कुछ न कुछ उपलब्ध है।


भारत सरकार के संग्रहालय और सांस्कृतिक स्थल विकास, सीईओ राघवेन्द्र सिंह ने कहा, “हमारे संग्रहालयों में संवाद और बातचीत के लिए खुला स्थान होना चाहिए। इस  प्रदर्शनी ने पैदल यात्राओं और कई गतिविधियों के माध्यम से इस आयोजन को संभव बनाया है। हम ऐसी अनेक पहलों का स्वागत करते हैं ताकि राष्ट्रीय संग्रहालय देश और विश्व में सर्वश्रेष्ठ सांस्कृतिक अनुभवों को उपलब्ध करा सके। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय संग्रहालय कलात्मक और सांस्कृतिक गतिविधियों में जनता के मनोरंजन और बातचीत के लिए एक सांस्कृतिक केंद्र है और यह राष्ट्रीय पहचान  का एक प्रतीक भी है।”


राष्ट्रीय संग्रहालय के अपर महानिदेशक सुब्रत नाथ ने कहा कि इस तरह के सहयोग संग्रहालयों में व्यापक सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं और सांस्कृतिक पहचान में गर्व और अपनेपन की भावना का सृजन करने में भी मदद करते हैं।


प्रदर्शनी के बारे में सिखरी के संस्थापक हरिंदर सिंह ने कहा कि गुरु नानक साहिब असंख्य लोगों के जीवन में लगातार बदलाव ला रहे हैं और आज दुनिया को 'वैश्विक-ज्ञान' की प्रेरणा, असाधारण और प्रेरक इस कहानी को सुनने की जरूरत है। इस प्रदर्शनी में बदलाव की कहानी का प्रदर्शन किया गया है।


सामाजिक कलाकार और वीओवाईसीई की संस्थापक अनिका सिंह ने कहा कि यह उत्सव गुरु नानक के बारे में है, जो अनन्त प्रकाश और सूर्य की रोशनी जैसे हैं। वे एक ओंकार और एकता के प्रतीक हैं और वे ऐसी उद्घोषणा हैं जो शेर की तरह दहाड़ती है। इस परियोजना पर काम करना, जीवित रहना और एकता में सांस लेना, ऐसी ही अतुल्य यात्रा जैसा रहा है। हमें उम्मीद है कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से आगंतुक उस अनुभव को महसूस करेंगे। सभी एकता की गतिविधियां इसी उद्देश्य के लिए नियोजित की गई हैं।


सिखरी की क्रिएटिव डायरेक्टर इन्नी कौर ने बताया कि पाँच दीर्घाओं के माध्यम से आगंतुक को गुरु नानक साहिब के जीवन और शिक्षाओं का संक्षिप्त रूप में अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।


एकता प्रदर्शनी के अलावा राष्ट्रीय संग्रहालय अपनी लघु चित्रकारी गैलरी में जनम-सखी, गुरु नानक की पौराणिक जीवनी के फोलियो, पर आधारित एक विशेष प्रदर्शनी की मेजबानी भी कर रहा है। इस विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन स्वामी अग्निवेश ने किया।


नौ दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने वाले वक्ताओं और कलाकारों में हरिंदर सिंह, सिखरी; एच एस फुलका, वरिष्ठ अधिवक्ता; स्वामी अग्निवेश; गुरिंदर हरनाम कौर; दलेर मेहंदी, गायक और पर्यावरणविद; बॉबी बेदी, फिल्म निर्माता; सिद्धार्थ, चित्रकार; जसबीर जस्सी, गायक; दिल्ली घराना के उस्ताद इक़बाल अहमद और गायकी के उस्ताद इक़बाल खान और मेहताब मौला, कलाकार; दशमीत सिंह, कलाकार; डॉ. अर्शिया सेठी, सांस्कृतिक दूरदर्शी; कुलजीत सिंह, कलाकार और निर्देशक; डॉ. कुमुद दीवान, तरणप्रीत मेहंदी, गुरसिमरन कौर, नीलू सिंह और अनिका सिंह शामिल हैं। यह प्रदर्शनी संग्रहालय के केंद्रीय प्रांगण में आयोजित की जा रही है और इसका समापन 9 फरवरी को होगा।