रिपोर्ट : अजीत कुमार
संसार में इन्सान का जीवन तभी सफल माना जायेगा जब वो मानवीय गुणों एवं भावों से युक्त हो और जीवन जीने की यह कला तभी संभव है जब ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर, जीवन में भक्ति आती है। ये मानवीय गुण कुछ पलों के लिए नहीं बल्कि हमेशा ही मानव के चरित्र को सुन्दर बनाए रखते हैं।
ये उद्गार सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने रोहिणी के रजत जयंती पार्क में रविवार के विशाल ‘निरंकारी सन्त समागम’ को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इन मानवीय गुणों को अपनाकर इन्सान का जीवन संसार के लिए वरदान बन जाता है। उनका जीवन फूलों की तरह सुन्दर और महकदार बन जाता है। इसी भाव से युक्त इन्सान के जीवन में व्यवहार की सुन्दरता भी हो और गुणों की खुशबू भी फैलती रहे। काँटों की चुभन नहीं देनी बल्कि कोमल पंखुड़ियों की तरह व्यव्हार करना है। सभी से मिलकर एकत्व, अपनेपन का भाव ही होना चाहिए, हम सभी एक परमात्मा की ही संतान हैं।
सद्गुरू माता जी ने दीपक का उदहारण देते हुए फरमाया कि दीपक अलग-अलग आकार व रंग के हो सकते हैं मगर उनकी ज्योति एक ही होती है, जो मार्ग प्रशस्त करती है। इसी तरह इंसानों की आकृति और संस्कृति तो अलग अलग है परन्तु सब में इसी एक परमात्मा की ही ज्योती है। यही ज्योति ही ब्रह्मज्ञान है जो जीवन का मार्ग आसान करती है।
सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने सभी को कड़वाहट, नकारत्मकता वाली नहीं बल्कि मिठास वाली, सकारात्मक सोच को अपनाकर संतो भक्तों के मार्ग को अपनाने और जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होने कहा भक्ति भरे जीवन के हर कर्म से मानवता का भला हो।
सद्गुरु माता जी का दिल्ली में एक माह के बाद सत्संग कार्यकम्र हुआ इसलिए दिल्ली और आसपास की संगतों, श्रद्धालु भक्तों तथा अन्य प्रभु प्रेमियों में हर्षोल्लास का वातावरण रहा। उनकी गत माह की महाराष्ट्र और गुजरात की भक्ति भरी कल्याण यात्रा का विवरण प्रचार और प्रकाशन विभाग की मेम्बर इंचार्ज राज कुमारी ने दिया।