केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्त वर्ष 2020-21 का केन्द्रीय बजट पेश किया। केन्द्रीय बजट 2020-21 के मुख्य बिन्दुओं में एक ऐसे महत्वाकांक्षी भारत की जरूरतों को पूरा करने पर जोर दिया गया है, जहां समाज के सभी हिस्सों को शिक्षा, स्वास्थ्य तथा बेहतर रोजगार तक पहुंच के साथ-साथ बेहतर जीवन स्तर मिले। बजट में नियोजनीयता और शिक्षा की गुणवत्ता संबंधी पहलुओं पर विशेष जोर दिया गया है।
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट प्रस्तुत करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2020-21 में शिक्षा क्षेत्र के लिए 99,300 करोड़ रुपये और कौशल विकास के लिए 3000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि 2030 तक भारत विश्वभर में सबसे अधिक कार्यशील जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। उनके लिए साक्षरता के साथ-साथ रोजगार एवं जीवन कौशल की जरूरत है।
निर्मला सीतारमण ने घोषणा करते हुए कहा कि मार्च 2020-21 तक 150 उच्चतर शैक्षिक संस्थान अप्रेंटिसशिप इम्बेडेड डिग्री/डिप्लोमा शुरू करेंगे। इससे सामान्य तौर पर (सेवा क्षेत्र अथवा प्रौद्योगिकी क्षेत्र) छात्रों की नियोजनीयता में सुधार लाने में मदद मिलेगी। सरकार एक कार्यक्रम भी शुरू करेगी, जिसके द्वारा देशभर के शहरी स्थानीय निकाय नए इंजीनियरों को अधिकतम एक वर्ष की अवधि तक इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करेंगे। वित्त मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी अवसंरचना केन्द्रित कौशल विकास के अवसरों पर विशेष जोर देगी।
बजट भाषण में वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि जल्द ही नई शिक्षा नीति की घोषणा की जाएगी। निर्मला सीतारमण ने बताया कि प्रतिभावान शिक्षकों को आकर्षित करने, नई खोज करने तथा बेहतर प्रयोगशालाओं के निर्माण के उद्देश्य से वित्तपोषण सुनिश्चित करने के क्रम में विदेशी वाणिज्यिक ऋणों तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर जोर दिया जाएगा।
समाज के वंचित वर्गों के छात्रों के साथ-साथ उच्चतर शिक्षा तक पहुंच में अक्षम छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से डिग्री स्तर का सुव्यवस्थित ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। हालांकि, ऐसे पाठ्यक्रम केवल उन्हीं संस्थानों में उपलब्ध होंगे, जो राष्ट्रीय संस्था रैंकिंग कार्यक्रम में शीर्ष 100 रैंकों में शामिल हैं।
वित्त मंत्री ने बताया कि भारत उच्चतर शिक्षा के लिए एक प्राथमिक गंतव्य होना चाहिए। इसलिए अपने ‘भारत में अध्ययन’ कार्यक्रम के तहत, एशियाई एवं अफ्रीकी देशों में एक इंड-सैट का प्रस्ताव किया गया है, ताकि भारतीय उच्चतर शिक्षा केन्द्रों में अध्ययन के लिए छात्रवृत्तियां पाने वाले विदेशी उम्मीदवारों का मानकीकरण हो सके।
सुयोग्य चिकित्सकों की जरूरत को पूरा करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी के प्रारूप में मौजूदा जिला अस्पतालों से एक चिकित्सा महाविद्यालय संलग्न करने का प्रस्ताव किया गया है। कार्यक्रम को लागू करने में संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए राज्यों को धन उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे चिकित्सा महाविद्यालय को अस्पताल की सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही, रियायती मूल्य की भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।
सरकार राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के तहत रेजीडेंट डॉक्टरों को डीएनबी/एफएनबी पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त क्षमता वाले बड़े अस्पतालों को भी प्रोत्साहित करेगी। निर्मला सीतारमण ने कहा कि विदेश में शिक्षकों/नर्सों/अर्ध-चिकित्सा कर्मचारियों तथा देखभाल करने वालों की अत्यधिक मांग है। इसलिए व्यावसायिक संस्थाओं के साथ-साथ, स्वास्थ्य मंत्रालय तथा कौशल विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से विशेष सेतु पाठ्यक्रम तैयार किए जा सकते हैं, विभिन्न देशों के नियोक्ताओं के साथ-साथ वहां की भाषा के अनुकूल हों।
बजट में पुलिस संबंधी विज्ञान, न्यायिक विज्ञान, साइबर न्यायिक विज्ञान आदि क्षेत्र में एक राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय तथा एक राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय का प्रस्ताव किया गया है।