केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 5 आईआईआईटी संस्‍थानों को आईआईआईटी (पीपीपी) अधिनियम, 2017 के तहत समावेषण को मंजूरी दी

 


 



 


केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्‍ली में सूरत,  भोपाल, भागलपुर, अगरतला और रायचूर स्थित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्‍थानों को आईआईआईटी (पीपीपी) अधिनियम, 2017 के तहत समावेषण को मंजूरी दे दी है। आईआईआईटी अधिनियम 2017 के तहत शामिल किए जाने से इन्‍हें इस अधिनियम के तहत शामिल अन्‍य आईआईआईटी संस्‍थानों के लिए उपलब्‍ध शक्तियों के इस्‍तेमाल करने का वैधानिक अधिकार मिल जाएगा। इससे वे किसी विश्‍वविद्यालय अथवा राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍थान की तरह प्रौद्योगिकी स्‍नातक (बी.टेक) अथवा प्रौद्योगिकी स्‍नातकोत्‍तर (एम.टेक) अथवा पीएच.डी डिग्री के नामकरण का इस्‍तेमाल करने के लिए अधिकृत हो जाएंगे। ये संस्‍थान सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश में एक सशक्‍त अनुसंधान सुविधा विकसित करने के लिए आवश्‍यक पर्याप्‍त छात्रों को आकर्षित करने में भी सक्षम हो जाएंगे।


केन्‍द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्‍यक्त किया। उन्‍होंने कहा कि इस कदम से ये संस्‍थान देश में सूचना एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित शिक्षा पर जोर देने में सक्षम हो जाएंगे। 


इनमें से भोपाल, सूरत तथा भागलपुर स्थित आईआईआईटी संस्‍थानों में 2017-18 में, अगरतला में 2018-19 में तथा रायचूर में 2019-20 में शैक्षिक सत्र की शुरूआत की गई है। फिलहाल इस संशोधन से लाभान्वित होने वाले छात्रों की संख्‍या लगभग 1600 है। हालांकि, ये संस्‍थान विकासोन्‍मुख हैं तथा भविष्‍य में पूरी शक्ति प्राप्‍त करने के बाद लगभग 5000 छात्र लाभान्वित होंगे।


सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्‍चतर शिक्षा तथा अनुसंधान को बढ़ावा देना, आईआईआईटी संस्‍थानों की परिकल्‍पना है। सार्वजनिक निजी भागीदारी के प्रारूप में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्‍थान की स्‍थापना करना भारत सरकार की एक अद्वितीय विशेषता है, जिसमें केन्‍द्र सरकार के अलावा उद्योग जगत तथा राज्‍य सरकार द्वारा लागत पूंजी में योगदान किया जाता है।