कृषि भारत के विकास लक्ष्यों के केन्द्र में है और निर्यात कृषि क्षेत्र में सुधार की कुंजी है। वाणिज्य सचिव, अनूप वाधवन ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा दिल्ली में कृषि निर्यात नीति और क्लस्टर विकास कार्यान्वयन पर आयोजित दूसरी राष्ट्रीय कार्यशाला के अवसर पर अपने उद्घाटन भाषण में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि कृषि निर्यात नीति को सही दिशा देने तथा क्लस्टरों के विकास के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को अपनी संस्थागत प्रणालियों को सशक्त बनाना होगा। उन्होंने आगे कहा कि यह राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक व्यापक योजना तैयार करने का बेहतरीन अवसर है, जिसमें कृषि, बागवानी, पशुपालन, पशुपालन, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण, फूलों की खेती और जल शेड विकास जैसे कृषि के सभी क्षेत्रों में कृषि निर्यात नीति के सभी प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि निर्यात नीति का संस्थागत ढांचा परिणामोन्मुखी होना चाहिए और सभी राज्यों / संघ शासित प्रदेशों को इसके लिए एक बजट का प्रावधान करना होगा।
वाणिज्य सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि निर्यात नीति को सफल बनाने के लिए जरुरी है कि कृषि के सभी क्षेत्रों में सर्वोत्तम कृषि संबंधी प्रथाओं का पालन किया जाए और देश के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को न केवल कृषि उपज के मात्रात्मक उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए बल्कि गुणवत्ता के बारे में भी बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। हर कदम पर सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन किया जाना चाहिए ताकि भारत के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता न हो।
उन्होंने आगे कहा कि कृषि नीति में विभिन्न क्षेत्रों पर एक समान ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि उसमें क्लस्टर स्तर से जिला और राज्य स्तर की योजना शामिल हो और उन्हें भारत सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों द्वारा शुरु की गई सभी योजनाओं के साथ जोड़ा जाए तथा उनमें अगले पांच वर्षों के लिए इसमें कृषि क्षेत्र के लिए एक विजन होना चाहिए।
कृषि निर्यात नीति के कार्यान्वयन और जिलों में कृषि समूहों के विकास के लिए एपीडा ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर दूसरी कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें 27 राज्यों ओर एक केन्द्र शासित प्रदेश ने हिस्सा लिया। एपीडा के अध्यक्ष ने कृषि निर्यात नीति के सफल कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों से सहयोग की उम्मीद जताई और कहा कि इससे 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने तथा कृषि निर्यात 60 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
एपीडा के अध्यक्ष ने कहा कि राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को राज्य कृषि निर्यात कार्ययोजना, राज्य स्तरीय निर्यात निगरानी समिति की स्थापना, कृषि निर्यात के लिए एक नोडल एजेंसी नामित करना, कृषि समूहों की पहचान करना, जिला कृषि निर्यात कार्य योजना स्थापित करना, किसान उत्पादक संगठन को बढ़ावा देना और सहकारी समितियों के लिए बुनियादी ढाँचे और लॉजिस्टिक सेवाओं की कमी की पहचान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि निर्यात नीति के बेहतर कार्यान्वयन के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को अलग से बजट तैयार करना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर मौजूदा योजनाओं के लिए संबंधित केंद्र सरकार के मंत्रालयों से सहायता लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एपीएमसी कानून के तहत सुधारों के रूप में निर्यात खरीद के लिए मंडी कर को समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जिला अधिकारियों को कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग और अनधिकृत कीटनाशकों और रसायनों की बिक्री पर नियंत्रण सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि करीब 15 राज्यों ने कृषि निर्यात नीति के सफल कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी, नोडल अधिकारी,राज्य स्तर की निगरानी समिति और क्लस्टर सुविधा प्रकोष्ठ बनाए हैं।
एपीडा ने कृषि निर्यात नीति के कार्यान्वय के लिए कुछ कदम उठाए है। इसके लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगमके साथ गत वर्ष जनवरी में एक सहमति पत्र पर हत्साक्षर किए गए और इसके तहत सहकारी समितियों को भी कृषि नीति में स्थान दिया गया। एफपीओ और एफपीसी जैसे कृषि संगठनों को निर्यातकों के साथ सीधे संपर्क के लिए एपीडा की वेबसाइट में अलग से एक वेबपोर्टल बनाया गया है। एक हजार से ज्यादा एफपीओ इस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। इसके अलावा निर्यातकों और एफपीओ तथा खरीदार और विक्रेताओं के बीच सीधे संपर्क के लिए कार्यशाला का आयोजन भी किया गया है। एक बाजार इंटेलिजेंस प्रकोष्ठ भी बनाया गया है ताकि ई बाजार की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और उसके आंकडों की समीक्षा की जा सके।
एक दिवसीय कार्यशाला में पशुपालन विभाग , खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, मत्स्य पालन और डेयरी, नाबार्ड तथा कृषि उत्पादों के निर्यातकों की ओर से प्रस्तुतियां दी गईं। कार्यशाला में डीजीएफटी के महानिदेशकों ,कृषि मंत्रालय और किसान कल्याण मंत्रालय , नागरिक उड्डयन , वाणिज्य विभाग तथा लॉजिस्टिक , खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य और पशुपालन विभाग तथा डेयरी उद्योग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।