राज्यसभा अध्यक्ष एम. वेंकैया नायडू द्वारा गठित राज्यसभा की तदर्थ समिति ने बच्चों के यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए तथा सोशल मीडिया पर बाल पोर्नोग्राफी सामग्री तक बच्चों की पहुंच होने तथा उसे रखे जाने से रोकने के लिए 40 दूरगामी सुझाव दिए हैं। समिति के अध्यक्ष जयराम रमेश ने नायडू को समिति की रिपोर्ट सौंपी।
इस प्रकार के व्यापक सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे की जांच करने तथा रिपोर्ट सौंपने के लिए नायडू द्वारा ऐसी समिति गठित करना अपने तरह की प्रथम पहल है, जिसकी व्यापक तौर पर सराहना की जा रही है। समिति की रिपोर्ट में जयराम रमेश ने कहा कि यह एक अच्छा प्रारूप है तथा ज्वलंत सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए राज्यसभा के सदस्यों द्वारा इसका समय-समय पर अनुसरण किया जा सकता है।
बाल पोर्नोग्राफी की भयानक सामाजिक बुराई की मौजूदगी की गंभीरता के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए, समिति ने बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम, 2012 तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में महत्वपूर्ण संशोधनों के अलावा प्रौद्योगिकीय, संस्थागत, सामाजिक एवं शैक्षिक उपाय तथा राज्य स्तरीय पहलों के सुझाव दिए हैं, ताकि सोशल मीडिया पर पोर्नोग्राफी के खतरनाक मुद्दे का समाधान हो तथा कुल मिलाकर बच्चों एवं समाज पर इसके कुप्रभावों को रोका जा सके।
तदर्थ समिति द्वारा दिए गए 40 सुझाव बाल पोर्नोग्राफी की विस्तृत परिभाषा लागू करने, ऐसी सामग्री तक बच्चों की पहुंच को नियंत्रित करने, बाल यौन उत्पीडन सामग्री को रखे जाने, तैयार करने तथा प्रचारित करने, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं तथा ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों को बच्चों की पहुंच रोकने के लिए उत्तरदायी बनाने तथा ऑनलाइन साइटों से ऐसी अभद्र सामग्रियों को हटाने के अलावा सामग्री की निगरानी करने, पता लगाने तथा हटाए जाने, ऐसी सामग्री का बच्चों द्वारा इस्तेमाल की रोकथाम करने, बच्चों द्वारा ऐसी सामग्री तक पहुंच कायम करने के बारे में पता लगाने के लिए माता-पिता को समर्थ बनाने, सरकारों तथा अधिकृत एजेंसियों द्वारा प्रभावी कार्रवाई करने आदि से संबंधित हैं।