राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) दिव्यांगता पर सम्मेलन आयोजित कर रहा है

 


 



 


राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) ने आज यहां “दिव्यांगता पर राष्ट्रीय सम्मेलन--समावेशी आपदा जोखिम में कमी: समावेश के लिए मार्ग और लचीलेपन के लिए कार्रवाई” विषय पर सम्मेलन आयोजित किया। एक दिन का यह सम्मेलन सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण (एनपीडीआरआर) से संबद्ध, द्वारा आयोजित किया गया था। यह कार्यक्रम आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) और दिव्यांगता समावेशन के हितधारकों को एक साथ लाने पर केंद्रित था और इसमें डीआरआर प्रक्रिया में दिव्यांगता-समावेश को मुख्यधारा से जोड़ने के कार्य और रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया गया था।


इस समारोह की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य श्री कमल किशोर ने डीआरआर में दिव्यांगता-समावेश के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आपदा जोखिम में कमी के लिए दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण पर बल दिया। उन्होंने स्थानीय स्तर की कार्रवाइयों में दिव्यांगता समावेश को मुख्यधारा में लाने पर भी विस्तार से चर्चा की।


विशेष संबोधन प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एस.एन. प्रधान ने दिव्यांगता-समावेश को प्राप्त करने के लिए आपदा प्रबंधन के पहले प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आपदा परिदृश्यों के दौरान दिव्यांग पीड़ितों को बचाने में आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बताया।


स्वागत भाषण देते हुए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) के कार्यकारी निदेशक, मेजर जनरल मनोज कुमार बिंदल ने दिव्यांगता-समावेशी आपदा जोखिम में कमी के वर्तमान अंतराल पर प्रकाश डाला और उन्होंने दिव्यांगता को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की आवश्यकता की प्राथमिकता पर भी बल दिया।


उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में निदेशक डॉ. के.वी.एस.राव  ने निर्णय लेने की प्रक्रिया में सभी हितधारकों की भागीदारी पर भी जोर दिया। उन्होंने दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सहायक उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के विकास के क्षेत्र पर भी प्रकाश डाला।


उद्घाटन सत्र के बाद तीन तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गए: "डीआरआर में दिव्यांगता शामिल: एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता"; "स्थानीय स्तर की कार्रवाई में मेनस्ट्रीमिंग एक्शन" और "आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रक्रिया में दिव्यांगजनों की भागीदारी"। डीआरआर और दिव्यांगता-समावेश के क्षेत्र के कई प्रख्यात वक्ताओं जैसे मिहिर भट और डॉ. आशा हंस ने अपने विचार और अनुभव साझा किए और दिव्यांगता-समावेश के विकास के निर्माण के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त भी किया। इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के भिन्न-भिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में विदाई भाषण सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में सचिव शकुंतला गैमलिन और एनडीएमए में सदस्य सडिव जी.वी.वी सरमा ने दिया।