वित्‍त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही से जीडीपी में फिर से तीव्र वृद्धि होने का अनुमान

 


 



 


केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्‍त वर्ष 2020-21 का केन्‍द्रीय बजट पेश किया। वैश्विक स्थितियां प्रतिकूल रहने और घरेलू वित्‍तीय क्षेत्र में चुनौतियों के कारण वित्‍त वर्ष 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर में अस्‍थायी गिरावट आने के बावजूद भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बुनियादी तत्‍व अब भी मजबूत हैं और वित्‍त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही से जीडीपी में फिर से तीव्र वृद्धि होने की आशा है। यह बात वृहत-आर्थिक रूपरेखा विवरण (एमएफएस) 2020-21 में रेखांकित की गई है, जिसमें सार्वजनिक कोष से निवेश की जरूरतों से कोई भी समझौता किए बगैर ही राजकोषीय मजबूती के पटरी पर वापस आने के बारे में विस्‍तार से बताया गया है। सरकार ने अल्‍पकालिक अवधि में राजकोषीय रोडमैप को संशोधित किया है और राजकोषीय घाटे को वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान में जीडीपी के 3.8 प्रतिशत और वर्ष 2020-21 में 3.5 प्रतिशत पर सीमित किया है। इस बात का उल्‍लेख एमएफएस में किया गया है।


इसके अलावा, उपर्युक्‍त दस्‍तावेज में कहा गया है कि उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा तय की गई लक्षित सीमा में ही बनी हुई है। सरकार ने मध्यम अवधि में राजकोषीय मजबूती के पटरी पर वापस आने की उम्मीद जताई है। केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण कर सुधार लागू किये हैं। यही नहीं, विभिन्‍न योजनाओं के लिए सरकार की प्रतिबद्धता और जीवन स्‍तर बेहतर करने की आवश्‍यकता को ध्‍यान में रखते हुए कुल व्‍यय को वित्‍त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में 30.42 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर रखा गया है, जबकि वित्‍त वर्ष 2019-20 के संशोधित अनुमान में यह आंकड़ा 26.98 लाख करोड़ रुपये था।


भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में वैश्विक विश्‍वास बढ़ गया है, जो शुद्ध एफडीआई (प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश) की बढ़ती आवक के साथ-साथ दिसम्‍बर 2019 में विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़कर 457.5 अरब अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच जाने में परिलक्षित होता है। एमएफएस दस्‍तावेज में बताया गया है कि विश्‍व बैंक की ‘कारोबार में सुगमता’ 2020 रिपोर्ट में भारत के 14 पायदानों की छलांग लगाकर 63वें पायदान पर पहुंच जाने की उपलब्धि ने भी वैश्विक विश्‍वास में हुई उल्‍लेखनीय बढ़ोतरी में महत्‍वपूर्ण योगदान किया है।


जीडीपी में फिर से तेज वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए वित्‍त वर्ष 2019-20 में सरकार द्वारा घोषित/लागू किये गये महत्‍वपूर्ण उपायों का उल्‍लेख करते हुए एमएफएस में कृषि फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍यों (एमएसपी) में वृद्धि, कॉरपोरेट टैक्‍स की दर में कमी, स्‍टार्ट-अप्‍स के लिए प्रोत्‍साहन एवं एमएसएमई के विस्‍तार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को नई पूंजी मुहैया कराने, केन्‍द्र सरकार के स्‍तर पर अनेक श्रम कानूनों को सुव्‍यवस्थित बनाने, इत्‍यादि को उद्धृत किया गया है। जीवन स्‍तर को बेहतर करने के लिए सरकार ने 102 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं की राष्‍ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) की भी घोषणा की है, जिनका कार्यान्‍वयन वर्ष 2020-21 से लेकर वर्ष 2024-25 तक विभिन्‍न चरणों में शुरू होगा।


आगामी वर्ष के लिए रणनीतिक प्राथमिकताओं का उल्‍लेख करते हुए एमएफएस में बताया गया है कि व्‍यय के अंतर्गत सरकार का मुख्‍य फोकस पूंजीगत परिसपंत्तियों का सृजन बढ़ाने पर होगा। यही नहीं, जल संरक्षण और स्वच्छता फोकस वाले सेक्टर होंगे। जहां तक पूंजी प्राप्ति का सवाल है, रणनीतिक परिसंपत्तियों की बिक्री के जरिए संसाधन जुटाने के प्रयास किए जाएंगे। इस बात का उल्‍लेख एमएफएस में किया गया है।


अर्थव्‍यवस्‍था के समक्ष मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए एमएफएस में बताया गया है कि अर्थव्‍यवस्‍था में प्रमुख चुनौतियां वैदेशिक क्षेत्र, विशेषकर मध्‍य-पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने और आपूर्ति के बाधित होने के कारण कच्‍चे तेल के बढ़ते मूल्‍य के कारण उत्‍पन्‍न हुई हैं, जिससे विकास की गति धीमी हो सकती है और महंगाई बढ़ सकती है। वहीं, दूसरी ओर घरेलू मोर्चे पर मौजूद चुनौतियां निवेश एवं बचत के फिर से पटरी पर वापस आने से जुड़ी हुई हैं।


एमएफएस के अनुसार, अर्थव्‍यवस्‍था के लिए सकारात्‍मक बात यह है कि ढांचागत सुधारों को निरंतर लागू किया जा रहा है, जिससे विकास की गति फिर से तेज होगी और ऋण प्रवाह के सामान्‍य होने की आशा है। यह कॉरपोरेट टैक्‍स की दर में कटौती से निवेश के जोर पकड़ने और एमपीसी द्वारा विगत महीनों में रेपो रेट में की गई कटौती का लाभ संबंधित उपभोक्‍ताओं एवं कंपनियों को देने से संभव होगा। वैश्विक स्‍तर पर आर्थिक विकास की गति वर्ष 2020 में तेज होने की आशा है, जिससे भारत में भी आर्थिक विकास की गति को आवश्‍यक सहयोग मिलने की प्रबल संभावना है। अर्थव्‍यवस्‍था के मोर्चे पर सकारात्‍मक परिदृश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए ‘एमएफएस’ में अर्थव्यवस्था की सांकेतिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2020-21 में 10 प्रतिशत रहने का अनुमान व्‍यक्‍त किया गया है।