वित्‍तवर्ष 2020-25 में अवसंरचना क्षेत्र में 102 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा

 


 



 


केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा 2019-20 पेश की। आर्थिक समीक्षा में भारत के अवसंचरना क्षेत्र के रुझानों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।


समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया है कि विकास के लिए अवसंरचना के क्षेत्र में निवेश करना अनिवार्य है। बिजली की कमी, अपर्याप्त परिवहन सुविधा तथा कमजोर संपर्कता से कुल मिलाकर विकास संबंधी निष्पादन प्रभावित होता है। चूंकि पर्याप्त अवसंरचना का प्रावधान होना समावेशी विकास के लिए अनिवार्य है, भारत ने हाल में वित्‍त वर्ष 2020-2025 की पांच वर्ष की अवधि के लिए एक राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) की शुरूआत की है।


भारत को 2024-2025 तक पांच ट्रिलियन अमेरीकी डॉलर के जीडीपी तक पहुंचने के लिए, अवसंरचना पर इन वर्षों में लगभग 1.4 ट्रिलियन अमेरीकी डॉलर (100 लाख करोड़ रुपये) व्यय करने की आवश्यकता है, ताकि‍ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में अवसंरचना की कमी होना किसी प्रकार रुकावट न बने। एनआईपी से अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं को अच्छी तरह तैयार किया जा सकता है, जिससे रोजगार का सृजन होगा, जीवन स्तर में सुधार होगा और सबके लिए अवसंरचना के क्षेत्र में समान पहुंच कायम होगी। इस प्रकार विकास को और अधिक समावेशी बनाने में मदद मिलेगी।


एनआईपी के अनुसार, केंद्र सरकार (39 प्रतिशत) और राज्य सरकारों (39 प्रतिशत) से अपेक्षा है कि वे निजी क्षेत्र (22 प्रतिशत) के बाद परियोजनाओं के वित्तपोषण में बराबर हिस्सेदारी करेंगी। फिलहाल 42.7 लाख करोड़ रुपये (42 प्रतिशत) लागत की परियोजनाएं क्रियान्वयन के अधीन हैं। नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन का वित्तपोषण एक चुनौती होगी, लेकिन समीक्षा में आशा व्‍यक्‍त की गई है कि अच्छी तरह से तैयार की गई परियोजनाओं के बल पर केंद्र और राज्य सरकार, शहरी स्थानीय शासन, बैंक और वित्तीय संस्थान, पीई फंड और निजी निवेशक इनमें निवेश के लिए आकर्षित होंगे।


आर्थिक समीक्षा में रेल, सड़क परिवहन, नागर विमानन, शिपिंग, टेलीकॉम, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, बिजली, खनन, आवास और शहरी अवसंरचना से संबंधित क्षेत्रवार विकास का मूल्यांकन किया गया है।


आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि सड़क परिवहन सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) में अपने योगदान के संदर्भ में परिवहन का महत्वपूर्ण साधन है। 2017-2018 में जीवीए में परिवहन क्षेत्र का हिस्सा लगभग 4.77 प्रतिशत था, जिसमें सड़क परिवहन का हिस्सा 3.06 प्रतिशत है, इसके बाद रेलवे (0.75 प्रतिशत), हवाई परिवहन (0.15 प्रतिशत) और जल परिवहन (0.06 प्रतिशत) है। 2014-15 से 2018-19 के पांच साल की अवधि में सड़कों और राजमार्ग क्षेत्र में कुल निवेश 3 गुना से अधिक हो गया है।


समीक्षा में बताया गया है कि वर्ष 2018-19 के दौरान, भारतीय रेलवे ने 120 करोड़ टन माल ढुलाई की और 840 करोड़ यात्रियों के बल पर यह दुनिया का सबसे बड़ा यात्री वाहक और चौथा सबसे बड़ा माल वाहक बना।


नागरिक उड्डयन का व्यापक दृष्टिकोण रखते हुए, आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि हवाईअड्डों के संचालन, रखरखाव और विकास के लिए भारत में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा 6 और सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत 136 व्यावसायिक रूप से प्रबंधित हवाई अड्डे हैं। बिना लाइसेंस वाले हवाई अड्डों (उड़ान) के संचालन की योजना शुरू होने के बाद से कुल 43 हवाई अड्डों का परिचालन किया गया है। विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता रिपोर्ट 2019 के अनुसार, भारत हवाई अड्डे की कनेक्टिविटी के संदर्भ में 7 अन्य देशों की तुलना में पहले स्थान पर रहा।


मौजूदा हवाई अड्डे की क्षमता पर दबाव को कम करने के लिए, वित्त वर्ष 2023-24 तक 100 और हवाई अड्डों को चालू किया जाना है। समीक्षा में बताया गया है कि विकास की तीव्र गति जारी रखने के लिए सरकार एक स्थायी वातावरण उपलब्ध कराती रही है, ताकि भारतीय वाहक 2019 के अंत में लगभग 680 विमानों के अपने बेड़े को वित्त वर्ष 2023-24 तक 1200 विमानों तक बढ़ाकर अपने बेड़े को दोगुना कर सकें।


शिपिंग के क्षेत्र में तेज विकास की चर्चा करते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि मात्रा के रुप में व्यापार के 95 प्रतिशत और मूल्य के रुप में व्यापार के 68 प्रतिशत व्यापार की ढुलाई समुद्र के रास्ते होता है। भारत के समुद्री बेड़े में 30 सितंबर, 2019 तक 1419 जहाज शामिल हैं।


देश के प्रमुख बंदरगाहों की 30 मार्च, 2019 तक स्थापित क्षमता 1514.09 एमटीपीए है और वर्ष 2018-19 के दौरान 699.09 मीट्रिक टन सामानों की ढुलाई हुई। समीक्षा में कहा गया है कि शिपिंग मंत्रालय मशीनीकरण, डिजिटाइजेशन, और आसान प्रक्रिया के जरिए संचालन क्षमता में सुधार करने के प्रयास में लगा है। साल 2018 में जहाज पर से माल उतारने और लादने की क्रिया में लगने वाले औसत समय में सुधार हुआ जो  59.51 घंटे रहा जबकि वर्ष 2017-18 में यह 64.43 घंटे था।


दूरसंचार क्षेत्र पर नज़र डालते हुए आर्थिक समीक्षा में बताया गया कि भारत में आज दूरसंचार क्षेत्र में 4 प्रमुख कंपनियां कार्यरत है- इनमें तीन निजी क्षेत्र की और बीएसएनएल एवं एमटीएनएल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है। समीक्षा में यह प्रमुखता से बताया गया है कि भारत में डेटा मूल्य दुनिया भर के देशों में सबसे सस्ता है जिससे डिजिटल इंडिया अभियान के हिस्से के रूप में ब्रॉडबैंड हाइवेज का विकास करने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। सरकार देश की सभी 2.5 लाख पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए चरणबद्ध तरीके से भारत नेट कार्यक्रम लागू कर रही है।


आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है। भारत की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति कोयला, कच्चा तेल, अक्षय ऊर्जा और प्राकृतिक गैस से होती है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने अन्वेषण गतिविधियों को बढ़ाने, घरेलू एवं विदेशी निवेश आकर्षित करने और मौजूदा क्षेत्रों से तेल एवं गैस के घरेलू उत्पादन में तेजी लाने के लिए अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति में सुधार कर रहा है। साल 2019 में कच्चे तेल के भंडार में वृद्धि हुई है।


समीक्षा में कहा गया है कि भारत में 249.4 एमएमटीपीए की शोधन क्षमता है और यह संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के बाद दुनिया में चौथा सबसे बड़ा देश है। पेट्रोलियम ईंधन एवं पेट्रो रसायन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत की शोधन क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।


समीक्षा में कहा गया है कि तेल और प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में निजी संस्थाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई सुधार उपाय किए हैं, जिनमें सरलीकृत राजकोषीय और अनुबंध की शर्तें,  श्रेणी-2 के तहत अन्वेषण ब्लॉकों और बिना किसी उत्पादन या सरकार को राजस्व साझा के तीन तलछटी घाटियों की नीलामी, राजकोषीय प्रोत्साहनों का विस्तार करके खोजों का शीघ्र मुद्रीकरण, विपणन एवं मूल्य निर्धारण स्वतंत्रता सहित  गैस उत्पादन को प्रोत्साहित करना, नवीनतम प्रौद्योगिकी और पूंजी का समावेश,  राष्ट्रीय तेल कंपनियों में अधिक कार्यात्मक स्वतंत्रता और नामांकन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने में निजी क्षेत्रों की भागीदारी शामिल हैं।


आर्थिक समीक्षा में यह भी उल्लेख किया गया है कि सरकार द्वारा बिजली क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी ऊर्जा संक्रमण सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधर कर 76वें स्थान पर आ गई है। बिजली के उत्पादन और संचारण में भी सार्वभौमिक विद्युतीकरण प्रगति हुई है। मार्च 2019 में 3,56,100 मेगावाट की स्थापित क्षमता 31 अक्टूबर 2019 को बढ़कर 3,64,960 मेगावाट हो गई है।  


समीक्षा में यह कहा गया है कि समेकित विकास और जीवन को आसान बनाने के लिए बिजली का उपयोग आवश्यक है। 25 सितंबर, 2017 को 1,6,320 करोड़ की लागत से  प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) की शुरूआत हुई जिसका उद्देश्य 31-03-2019 तक सभी घरों का विद्युतीकरण करना था। समीक्षा में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के चरमपंथ प्रभावित बस्तर क्षेत्र के कुछ घरों को छोड़कर सभी राज्यों के सभी घरों का विद्युतीकरण कर दिया गया है जिसकी रिपोर्ट सौभाग्य पोर्टल पर मौजूद है।


आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि भारत 95 खनिजों का उत्पादन करता है जिसमें चार हाइड्रोकार्बन ऊर्जा खनिज, पांच परमाणु खनिज, 10 धातुएं, 21 गैर-धातु और 55 लघु खनिज शामिल हैं। वर्ष 2018-19 के दौरान जीवीए में खनन और उत्खनन क्षेत्र का योगदान लगभग 2.38 प्रतिशत है। समीक्षा में कहा गया है कि नीतिगत सुधारों की वजह से खनिजों के उत्पादन में उल्लेखनीय बदलाव आया है और पिछले साल की तुलना में इसमें वर्ष 2018-19 के दौरान मूल्य के रूप में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।


आर्थिक समीक्षा में निर्माण क्षेत्र के बारे कहा गया है कि यह सकल घरेलू उत्पाद का 8.24 प्रतिशत है, जिसमें आवास शामिल है और कुल कार्यबल का लगभग 12 प्रतिशत इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) जून 2015 में शुरू की गई थी। समीक्षा में कहा गया है कि यह दुनिया की सबसे बड़े आवास योजनाओं में से एक है, जिसमें पूरे शहरी भारत को शामिल किया गया है और यह चार ऊर्ध्वाधरों के माध्यम से लागू किया जा रहा है। यह योजना 2020 तक सभी को पक्का मकान उपलब्ध कराने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बढ़ रही है। अब तक 32 लाख घर बना कर वितरित कर दिये गए हैं।


समीक्षा में कहा गया है कि 100 शहरों में स्मार्ट सिटी मिशन के शुभारंभ के बाद से 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की 5,151 परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। 22,569 करोड़ रुपये की कुल 1,290 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और कार्यरत हैं।