कोविड-19 महामारी के प्रति संयुक्त राष्ट्र संघ का वैश्विक मानवीय सहायता कार्यक्रम

 


 



 


कुछ ही महीनों में कोविड-19 ने पूरे विश्व में बच्चों की जिंदगी को उलट पलट कर रख दिया है। करोड़ों बच्चे आज विद्यालयों में नहीं हैं। माता-पिता एवं देखभाल करने वालों की नौकरियां चली गई हैं। देशों की सीमाएं बंद कर दी गई हैं। बच्चे इस महामारी के नज़र ना आने वाले शिकार हैं। हम उनके स्वास्थ्य, विकास एवं संभावनाओं पर पड़ने वाले अल्पावधि एवं दीर्घावधि प्रभावों के बारे में चिंतित हैं। 


पानी एवं साफ-सफाई संबंधी सेवाओं तक उनकी पहुंच न होने के बारे में भी हम चिंतित हैं। जैसा कि आपको विदित ही है कि कोविड-19 से लड़ाई में साबुन से हाथ धोना बेहद महत्वपूर्ण है। पर सच्चाई यह भी है कि दुनियां की 40 प्रतिशत आबादी या कहें तो लगभग 3 अरब लोगों के पास घर पर हाथ धोने के लिए पानी एवं साबुन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। 


इससे भी बुरी स्थिति तो यह है कि 16 प्रतिशत स्वास्थ्य केंद्रों में यानी 6 में से 1 में साफ-सफाई की सुविधाएं नहीं हैं। पूरी दुनियां के एक-तिहाई विद्यालयों में एवं कम-विकसित देशों के आधे विद्यालयों में बच्चों के लिए हाथ धोने की कोई जगह ही नहीं है। हम उनकी शिक्षा के बारे में चिंतित हैं। कम-से-कम 120 देशों में राष्ट्रव्यापी स्तर पर विद्यालय बंद हैं, जिससे दुनियां के आधे से ज्यादा विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं।  


हम आशा करते हैं कि जैसे ही स्थिति में सुधार आएगा वैसे ही ये विद्यार्थी अपनी पढ़ाई शुरू कर सकेंगे। लेकिन, अपने अनुभवों से हमें पता है कि संकटग्रस्त बच्चे जितनी लंबी अवधि तक विद्यालयों से दूर रहेंगे, उतनी ही इनके वापिस आने संभावना कम होती जाएगी। यह बंदी केवल पढ़ाई तक ही सीमित नहीं है अपितु इससे विद्यालय से मिलने वाले पोषक भोजन, स्वास्थ्य कार्यक्रम, स्वच्छ पानी तथा सटीक सूचना पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। 


इसलिए यूनिसेफ पूरी दुनियां के शिक्षा मंत्रियों के साथ मिलकर पढ़ाई की वैकल्पिक संभावनाओं की तलाश कर रहा है, इनमें पढ़ाई की ऑनलाइन कक्षाएं या रेडियो एवं टेलिविजन के माध्यम से चलने वाले कार्यक्रम शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रास एंड रेड क्रीसेंट सोसाइटीज़ (आईएफआरसी) के साथ मिलकर हमने माता-पिता, शिक्षकों, विद्यालयों के प्रशासकों तथा अन्य के लिए इस पर दिशानिर्देश जारी किए हैं कि बच्चों को सुरक्षित रखते हुए उनकी पढ़ाई को कैसे जारी रखा जाए।